नई दिल्ली- जब 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की तो पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया। इसके बाद हर रोज एटीएम और बैंकों के बाहर लंबी-लंबी कतारें देखने को मिलती रहीं। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बुधवार को संसदीय समिति के सामने जो रिपोर्ट रखी गई है, उससे न सिर्फ मोदी सरकार, बल्कि भारतीय रिजर्व बैंक पर भी सवाल उठने लगे हैं।
बुधवार को दी गई रिपोर्ट में यह कहा गया है भारतीय रिजर्व बैंक ने 13 जनवरी तक 9.1 लाख करोड़ रुपए के नोट छापे हैं, जबकि लोगों द्वारा इस पूरे समय में अतिरिक्त 600 अरब रुपए (60 हजार करोड़ रुपए) अतिरिक्त निकाले गए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि आमतौर पर ऐसा नहीं होता है, लोगों को पास अधिक पैसे हों। लोगों के पास सर्कुलेन के कैश से कम पैसे होने चाहिए या अधिकतम सर्कुलेशन के कैश जितने पैसे हो सकते हैं। 60 हजार करोड़ रुपए के इस रहस्य से यह बात तो साफ है कि भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के बीच समन्वय का अभाव है। भारतीय रिजर्व बैंक क्या कर रहा है और वित्त मंत्रालय क्या कर रहा है, आपस में एक दूसरे को इसकी सही जानकारी नहीं दिया जाना भी इसकी एक वजह हो सकता है। खैर, अभी स्पष्ट आंकड़े आने के बाद ही यह पता चल सकेगा कि आखिर 60 हजार करोड़ रुपए कहां गए।
आपको बता दें कि मोदी सरकार पहले ही आलोचनाओं में घिरी हुई है, क्योंकि उसका नोटबंदी करने का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ, जबकि पूरे देश के करोड़ों लोगों को काफी दिनों तक परेशानियों से जूझना पड़ा।
मोदी सरकार ने कालेधन पर रोक लगाने के उद्देश्य से नोटबंदी की थी, लेकिन कई खबरों का दावा है कि भारतीय रिजर्व बैंक के पास करीब 97 फीसदी पुराने नोट वापस आ चुके हैं। ऐसे में 60 हजार करोड़ रुपयों का ये रहस्य मोदी सरकार के लिए एक और मुसीबत बन सकता है। [एजेंसी]
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