Quantcast
Viewing all articles
Browse latest Browse all 10573

बदल सकती हैं पत्थर की भी तकदीर, पत्रकारिता में बदलाव की जरूरत

Image may be NSFW.
Clik here to view.
आबूरोड :
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के शांतिवन आबूरोड में चल रहे अंतरराष्ट्रीय महासम्मेलन के दूसरे दिन रशियन के कलाकारों ने नाट्य प्रस्तुत से शांति और एकता का संदेश दिया। वहीं विजयनगरम की बालिकाओं ने शिव आराधना की जोरदार प्रस्तुति से कला कौशल दिखाया। वक्ताओं ने विश्व शांति का नारा देते हुएसंस्था को ‘मैक इंडिया’ कहा। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीका ने सिर्फ ओम शांति के मंत्र से लाखों लोगों का विश्वास जीत लिया।

नवग्रह टीवी के सीईओ आर.सी रैना ने कहा कि संस्था बहुत सहज तरीके से अपना कार्य कर रही है। यहां से सभ्य समाज का निर्माण कर रही है। देह अभिमानी नहीं देही अभिमानी बनें। भारत में शिक्षा, सामाजिक परिवेश, राजनीति में बदलाव की जरूरत है। उन्होंने सवाल कि जब परमात्मा एक हैं तो क्यों आज इतने मत-मतांतर, धर्म और मान्यताएं हैं।क्यों हम एक नहीं हैं। साथ ही पत्रकारिता में भी बदलाव की जरूरत बताई।

संस्थान की 8 0वीं वर्षगांठ के मौके पर विश्व के कोने-कोन से आए हजारों सम्मेलन सहभागियों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि परमार्थ निकेतन आश्रम के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती ने सुबह के सत्र में कहा कि आज जहां पति-पत्नी तक का आपस में विश्वास नहीं होता, वहीं दादा लेखराज ने विश्वास का ऐसा बीज बोया कि लाखों लोग जुड़ते चले गए। दादा और दादी ने ‘ओम शांति’ मंत्र से लाखों का ह्दय परिवर्तन कर दिया। लोग कहते हैं ‘बदलता है जमाना अक्सर’ मगर यहां कुछ ऐसे होते हैं जो जमाना बदल देते हैं। सरकार ने अब मेक इन इंडिया का मंत्र दिया है मगर दादा लेखराज ने बरसों पहले ‘मेक इंडिया’ का मंत्र दिया।

बदल सकती पत्थर की भी तकदीर
स्वामी चिदानंद ने कहा कि हर पत्थर की तकदीर बदल सकती है, शर्त है कि उसे सलीके से संवारा जाए। दादी ने देश को आत्म ऊर्जा का मंत्र दिया। जब बसंत आता है, जीवन में बहार आती है। जब कोई संत आता है। उन्होंने सभी को संकल्प दिलाया कि यहां से जुड़ा हर सदस्य एक शौचालय बनवाए और पेड़ जरूर लगाए।

दादी को मिले नोबेल पुरस्कार: डॉ. लोकेश मुनि
समाजसुधारक, लेखक एवं कवि आचार्य डॉ. लोकेश मुनि ने कहा कि जब-जब मैं यहां आता हूं और दादीजी के पास बैठता हूं तो मेरी स्वयं की बैटरी चार्ज हो जाती है। नारी शक्ति द्वारा विश्व परिवर्तन का जो कार्य आबू से संचालित हो रहा है वह विश्व के अंदर कहीं नहीं हो रहा। ब्रह्माकुमारी परिवार का मंत्र है ‘तेरा तो तेरा, मेरा भी तेरा।’ ये बहनें स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज निर्माण का कार्य कर रही हैं। जो काम सरकार करोड़ों खर्च कर नहीं कर सकती वह ब्रह्माकुमारी परिवार कर रहा है। उन्होंने कहा कि दादी जानकी को भारत रत्न नहीं, नोबल पुरस्कार मिलना चाहिए।

परमात्मा को अपना बना लें: दादी रतनमोहिनी
संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी ने कहा कि जैसा कर्म हम करेंगे, हमें देख और करेंगे। इसलिए सदा अच्छे कर्म, सुखदायी कर्म करना चाहिए। परमात्मा को अपना पिता बनाकर उनकी बातों को जीवन में लाएं तो दामन खुशियों से भर जाएगा। इससे जहां आत्मबल बढ़ेगा वहीं खुशी भी मिलेगी।

हर चीज को पवित्रता से बढ़ाया: अनुराधा प्रसाद
न्यूज 24 की एडिटर अनुराधा प्रसाद ने कहा कि मैं इतने सालों बाद यहां आई हूं जो मैंने बहुत मिस किया। संस्था ने जो चेतना जगाई है वह विश्व की चेतना है। ब्रह्माकुमारी बहनों ने हर चीज को पवित्रता के साथआगे बढ़ाया। राष्ट्रनीति को जगाने के लिएब्रह्माकुमारीज ने बढ़ा काम किया है।आज देश में ‘राष्ट्रनीति’ को बढ़ाने की जरूरत है।

कार्यक्रम की शुरुआत तमिलनाडू की गायिका एसजे जैनेनी ने ‘झलक तुम्हारी ओ प्यारे भगवन…’ गीत के साथ की। इसके बाद रशियन ‘डिवाइन लाइट ग्रुप’ ने आध्यात्मिक धुन पर शांति का संदेश देता नृत्य प्रस्तुत किया। वहीं राजानीराजा कलाक्षेत्रम् विजयनगरम की छोटी बालिकाओं ने शिव आराधना नृत्य से अपना कला कौशल दिखाया।

मीडिया दिग्गजों को दिया एक्सीलेंस अवार्ड
देश व दुनिया के कोने-कोने से आईं जानी-मानी हस्तियों के बीच मीडिया के क्षेत्र में विशेष कार्य करने पर न्यूका 24 की एडिटर अनुराधा प्रसाद एवं बिजनेस वर्ड के एडिटर अनुराग बत्रा को संस्था की ओर से एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया गया। सुबह के सत्र के समापन पर त्रिची चेन्नई के श्रीरंगम भरतनाट्यम निकेतन के कलाकारों ने कितना प्यारा ये प्रभु परिवार है… गीत पर प्रस्तुति दी।समापन पर समाज सेवा प्रभाग के मुख्यालय संयोजक बीके अवतार भाई ने आभार जताया।
डॉ. बीके प्रताप मिड्डा, डायरेक्टर, ग्लोबल हॉस्पिटल, माउण्ट आबू ने कहा कि हम सभी के परम पिता, परमात्मा एक हैं। हम एक पिता की संतान हैं। संस्था समाजहित के लिएबहुत ही अच्छा कार्य कर रही है। पद्मश्री डॉ.जी भक्तवत्सलम, चेयरमैन, केजी हॉस्पिटल, कोयम्बटूर ने स्वयं में परिवर्तन के बिना कुछ भी संभव नहीं है। जब हम स्वयं में परिवर्तन करेंगे तो विश्व में परिवर्तन संभव होगा। ये कार्य संस्था द्वारा किया जा रहा है।

शांति का साइन करने से शांति नहीं आती है। इसके लिए अंदर से मेहनत करना पड़ती है जो यहां सिखाई जाती है कि हम स्वयं को कैसे बदल सकते हैं।
मार्शेलो बल्क, डायरेक्टर, कोलम्बिया, ब्रह्माकुमारीका

यह संस्था हर परिवार और विश्व के लिएब्रह्माकुमारीका एक रोल मॉडल है। यहां जैसा परिवार पूरे विश्व में कहीं भी देखने को नहीं मिलता है।
अनुराग बत्रा, चेयरमैन, बिजनेस वल्र्ड

यहां आने से मेरी बैटरी चार्ज हो गई। साथ ही यहां से सौ लोगों की ऊर्जा लेकर जा रहा हूं। यहां के लोग इतने खुश कैसे रहते हैं मुझे यह जानकर आश्चर्य होता है।
अतुल अग्रवाल, एडिटर, हिंदी खबर

ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय आध्यात्मिक शक्तिपुंज है। यहां आकर जो अनुभूति होती है, उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। परिवर्तन का संकल्प मन से शुरू होता है और खुद को बदलने के बाद हम दुनिया को बदलने का संकल्प ले सकते हैं।
– कनक सेन देका, एडिटर, दैनिक अग्रदूत, गोवाहाटी

आंतरिक आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत करने के लिए ब्रह्माकुमारी संगठन अहम भूमिका निभा रहा है। इसमें हर व्यक्ति को अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने में आगे आना चाहिए।
– शंकर लश्कर, चीफ एडिटर, असोमिया खबर

The post बदल सकती हैं पत्थर की भी तकदीर, पत्रकारिता में बदलाव की जरूरत appeared first on Tez News.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 10573

Trending Articles