Quantcast
Channel: Tez News
Viewing all articles
Browse latest Browse all 10573

आस्था: जब पता चला भगवान के इस रूप ने ली अंतिम साँस

$
0
0

अमेठी : गाय को गऊ माता, हाथी को गणेश, बंदर को हनुमान मानने की परंपरा आज भी हमारे समाज में कायम है यह महज एक मान्यता नहीं बल्कि जानवरों के प्रति मानवता की आस्था व प्रेम को प्रकट करता है कुछ इसी तरह का वाकिया अमेठी जनपद के मुसाफिरखाना कोतवाली अंतर्गत मोहिद्दीनपुर के पूरे बढ़ई गाँव में देखने को मिली घरों के छत व बाड़ी में लगे फलदार पेड़ों में प्रतिदिन छलांग मारने वाले बंदर से लोगों का एक तरह से आध्यात्मिक जुड़ाव हो चुका था।

मंगलवार को बंदर की आकस्मिक मौत पर पूरे गांव में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा पारंपरिक रीति रिवाज से बंदर की शवयात्रा निकालकर उसका अंतिम संस्कार किया हालाँकि पेड़ पौधे के बसे इस ग्राम पूरे बढ़ई में बंदरों का हमेशा से आना-जाना लगा रहता है कभी-कभी गांव में कुछ नुकसान पहुंचाने के बाद भी बंदरों से ग्रामीणों ने कभी गुरेज नहीं किया बल्कि उनकी स्वाभाविक प्रकृति मानते हुए उनसे लगाव बनाए रखा बंदरों के झुंड को देखते हुए कई पीढ़ियां बच्चे से जवान और बूढ़े हुए, किंतु गांव में अब तक कभी किसी बंदर की आकस्मिक मौत नहीं हुई थी।

जब ग्रामीणों ने धार्मिक रीति रिवाज से किया बन्दर का अंतिम सँस्कार-
पूरे बढ़ई के ग्रामीणों ने अचानक देखा की कि एक बंदर शायद आराम कर रहा है घंटों बाद उसकी स्थिति ज्यों की त्यों देख कर ग्रामीणों को शंका हुई निकट जाकर देखा तो बंदर की मौत हो चुकी थी इस बात की सूचना जब ग्रामीणों को मिली तो पूरा गांव बंदर को देखने उमड़ पड़ा पूरे पारंपरिक रीति रिवाज से अर्थी को लाल रंग के कफन के साथ शवयात्रा पूरे गांव में भ्रमण किया इस दौरान भजन-कीर्तन का दौर चलता रहा ग्रामीणों ने ज्येष्ठ के बड़े मंगल को देखते हुए पूरे आस्था व विश्वास के साथ बंदर को हनुमान का स्वरूप मानकर पूजा अर्चना की इस मौके पर गांव भर की महिलाएं, बच्चे, जवान व बुजुर्ग सभी दर्शन के लिए उमड़ पड़े गांव के निकट की भूमि पर बंदर का अंतिम संस्कार कर रामायण तथा भंडारे का आयोजन किया गया ग्रामीणों ने बताया की जल्द ही इस स्थान पर मंदिर निर्माण की तैयारी की जायेगी ।

जंगल के कटान से पशु पक्षी परेशान-
पूरे बढ़ई के ग्रामीणों ने बताया कि वन्य फलों से ही बंदरों व वन्यजीवों का जीविकोपार्जन होता था फलदार पेंड़ों के नष्ट होने से अब ज्यादातर बंदरों का गांव शहर की ओर पलायन हो रहा है जंगल में फलदार पौधों के नितांत अभाव में जानवरों में भूख मिटाने के लिए गांव की ओर आ रहे हैं।

संरक्षण की आवश्यकता बंदर, जंगली विडाल सहित कई अन्य जानवरों का ग्रामीण क्षेत्र की ओर भटक कर आना और मौत के मुंह में समाना आम बात हो गई है। वन्य जीवों के संरक्षण स्थली में मानवीय दखल व पोषक पेड़ों की कटाई से अव्यवस्था की स्थिति निर्मित हो रही है।

वन भूमि में फलदार पौधों की रोपणी व संरक्षण के लिए वन विभाग से तवज्जो नहीं मिलने के कारण वन्यजीवों की तादात में कमी आना चिंता का विषय बना हुआ है।बंदर की आकस्मिक व प्राकृतिक मौत हुई है धार्मिक आस्था होने के कारण ग्रामीणों ने पूजा आराधना और भंडारा कर विधि विधान से अंतिम संस्कार किया ।
Report @राम मिश्रा

The post आस्था: जब पता चला भगवान के इस रूप ने ली अंतिम साँस appeared first on Tez News.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 10573

Trending Articles