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यूपी में महागठबंधन के फॉर्मूले में ये है सबसे चौंकाने वाली बात

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यूपी में महागठबंधन के फॉर्मूले में ये है सबसे चौंकाने वाली बात Tez News.

नई दिल्ली: आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी में महागठबंधन का फॉर्मूला फाइनल कर लिया है। महागठबंधन के इस फॉर्मूले में सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इसमें कांग्रेस को जगह नहीं दी गई है। हाल ही में तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत के बाद बदले सियासी समीकरणों को देखते हुए माना जा रहा था कि कांग्रेस भी यूपी में महागठबंधन का हिस्सा बनेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि महागठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) को जगह दी गई है। माना जा रहा है कि मायावती के जन्मदिन (15 जनवरी) पर सीटों के बंटवारे का आधिकारिक ऐलान किया जा सकता है।

सूत्रों के हवाले से खबर है कि अखिलेश यादव और मायावती ने लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया है। इस बंटवारे में चौधरी अजीत सिंह की पार्टी आरएलडी को भी शामिल किया गया है। यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर तय किए गए फॉर्मूले के मुताबिक बहुजन समाज पार्टी (BSP) 38 सीटों पर, समाजवादी पार्टी (SP) 37 सीटों पर और राष्ट्रीय लोकदल (RLD) 3 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बची हुई दो सीटों अमेठी और रायबरेली में सपा या बसपा अपने उम्मीदवार नहीं उतारेंगी। दरअसल अमेठी से राहुल गांधी और रायबरेली से सोनिया गांधी चुनाव लड़ते रहे हैं। इन दोनों सीटों को कांग्रेस के लिए छोड़ दिया गया है।

आपको बता दें कि हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बसपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन के प्रयास किए गए थे। हालांकि दोनों दलों के बीच गठबंधन पर बात नहीं बन पाई और बसपा ने छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया। इसके अलावा मध्य प्रदेश और राजस्थान में बसपा अकेले ही चुनाव लड़ी। चुनाव के बाद बसपा ने बिना शर्त मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस को समर्थन दे दिया। बाद में अखिलेश यादव ने भी ऐलान किया कि मध्य प्रदेश में उनकी पार्टी का एकमात्र विधायक कांग्रेस को समर्थन देगा। ऐसे में फिर से चर्चा छिड़ी थी कि कांग्रेस भी यूपी में सपा और बसपा के बीच होने वाले महागठबंधन का हिस्सा बन सकती है।

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सोमवार को हुए शपथ ग्रहण समारोह से भी मायावती और अखिलेश ने दूरी बनाई। वहीं, एक मीडिया हाउस के कार्यक्रम में अखिलेश यादव ने राहुल गांधी की पीएम पद पर दावेदारी को भी खारिज कर दिया। दरअसल डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने हाल ही में बयान दिया था कि राहुल गांधी को देश का अगला प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होना चाहिए। अखिलेश यादव ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि स्टालिन का मत सभी विपक्षी दलों का मत नहीं है। देश के लोग भाजपा से नाखुश हैं, इसलिए कांग्रेस को तीन राज्यों के चुनाव में सफलता मिली है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, एनसीपी नेता शरद पवार सहित तमाम नेताओं ने कोशिश की है कि 2019 के चुनाव से पहले सभी विपक्षी दल एकजुट हों, लेकिन अगर प्रधानमंत्री पद को लेकर किसी की कोई खास राय है तो यह जरूरी नहीं है कि वो पूरे विपक्ष की राय हो।

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