नई दिल्ली- ‘एक देश, एक टैक्स’ सिस्टम लागू होने का रास्ता साफ हो गया है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद जीएसटी कान्स्टीट्यूशन अमेंडमेंट बिल अब कानून बन गया है। 20 राज्यों की असेंबलीज पहले ही इसे मंजूरी दे चुकी थीं, जो जीएसटी बिल के लिए एक अहम शर्त थी। राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही इसको लागू करने पर काम जल्द शुरू होने की उम्मीद है। 31 राज्यों में से 20 राज्य पहले ही जीएसटी पर मुहर लगा चुके।
जिहां राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुड्स एंड सर्विस टैक्स बिल (GST) पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसके बाद से यह बिल अब कानून का रूप ले चुका है। इस आशय की जानकारी समाचार एजेंसी पीटीआई ने दी।
बता दें कि 10 साल के लंबे इंतजार के बाद वस्तु और सेवाकर संशोधन विधेयक बीते माह (3 अगस्त ) को मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में पेश किया गया था, जिसके बाद वो पारित कर दिया गया था।
हुई थी लंबी चर्चा
जीएसटी को राज्यसभा में संशोधनों के साथ पेश किया गया थाा जिस पर लंबी चर्चा भी हुई थी। चर्चा के बाद हुई वोटिंग में जीसटी से पक्ष में 197 वोट पड़े थे। 3 अगस्त को बिल पारित होने के बाद असम, बिहार, महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश समेत 4 अन्य राज्यों में इसे पारित किया जा चुका है।
गौरतलब है कि राज्यसभा में बिल पारित होने के बाद इसे 50 फीसदी राज्य विधानसभाओं को पारित करना होगा। इसके बाद ही जीएसटी बिल एक कानून बनने की प्रक्रिया में आ पाएगा।
2017 से लागू करना चाहती है सरकार
केन्द्र सरकार चाहती है कि इस बिल को अप्रैल 2017 से लागू कर दिया जाए। वित्त मंत्री अरुण जेटली भी जीएसटी के मसले पर कह चुके हैं कि सरकार जीएसटी बिल पर सभी पार्टियों का समर्थन लेना चाहती है।
उन्होंने कहा था कि केन्द्र से राज्यों के सवालों को भी ध्यान में रखा है।
वित्त मंत्री ने कहा था कि सरकार जटिलताओं को खत्म करना चाहती है ताकि ‘एक देश, एक टैक्स’ के लिए जीएसटी सबसे अच्छा हथियार साबित हो।उन्होंने कहा था कि यदि कोई व्यक्ति एक जगह पर बिल दे देता है, तो उसे दूसरी जगह पर टैक्स न देना पड़े, ताकि टैक्स के ऊपर टैक्स न लगे।
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