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जनपक्ष पर केंद्रित हो पत्रकारिता : के.जी. सुरेश

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नोएडा : पत्रकारिता न पक्ष की हो न विपक्ष की, पत्रकारिता जनपक्ष की होनी चाहिए। समाजहित के पहलुओं को जागृत करना ही पत्रकारिता का धर्म होना चाहिए । पत्रकारिता जर्नलिज़्म कम, एक्टिविज़्म ज्यादा हो गया है। प्रायोगिकता के नाम पर जो बदलाव पत्रकारिता में हो रहा है उसे समझना आवश्यक है। फेक न्यूज आज मुख्यधारा की पत्रकारिता में हावी हो रहा है, जिस पर नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है। उक्त विचार भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक केजी सुरेश के हैं । वे आज माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के नोएडा परिसर में आयोजित ‘पत्रकारिता का धर्म एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ विषय पर अपने उद्बोधन में व्यक्त किए।

श्री सुरेश ने कहा कि जब आप व्यक्तिगत विचार को समाचार में मिला कर परोसते हैं तो यह फेक न्यूज़ के दायरे में आता है। पत्रकारिता कि लक्ष्मण रेखा पत्रकार को स्वयं तय करना चाहिए। सिर्फ आलोचना या नकारात्मक दृष्टि से देखना ही पत्रकारिता नहीं है। तथ्य और सत्य में अंतर को एक पत्रकार को विशेष तौर से समझना चाहिए। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल कुमार राय ने कहा कि पत्रकारिता मिशन से शुरू हो कर प्रोफेशन और आज कमीशन की तरफ बढ़ गई है । इस पर नियंत्रण करना जरूरी हो जाता है। पत्रकारिता अंधेरे के बीच एक प्रकाशपुंज के समान है, जो समाज हित को प्रकाशित करती है। पत्रकारिता हाशिये के समाज को ध्यान मे रख कर करनी चाहिए।

उद्बोधन को आगे बढ़ाते हुए सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता शंकर झा ने कहा कि आपकी आजादी तब तक है जब तक आप दूसरे के आजादी मे बाधा नहीं उत्पन्न करते हैं । खबर लिखते समय हमें मानहानि, न्यायालय की अवमानना, निजता का हनन आदि पक्षों पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। नोएडा परिसर के प्रभारी प्रोफेसर अरुण कुमार भगत ने विषय प्रवर्तन करते हुये कहा कि पत्रकारिता समाज की धड़कन है । सभ्यता और संस्कृति की संवाहक होती है। इसीलिए इसे जल्दी मे लिखा गया साहित्य भी कहते हैं। एक तरफ जहां पत्रकारिता से इतिहास लेखन होता है तो दूसरी तरफ इस से सामाजिक जीवन की व्यवस्था भी सुदृढ़ होती है। मंच संचालन सहायक प्राध्यापक सूर्य प्रकाश ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सहायक प्राध्यापक लाल बहादुर ओझा ने किया।

इस अवसर पर नोएडा परिसर की वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक मीता उज्जैन, राकेश योगी, डॉ रामशंकर, मधुकर सिंह, डॉ शशि प्रकाश राय, ऋचा चाँदी, अनिरुद्ध सुभेदार, कमल उपाध्याय, अंकिता शिवहरे सहित सभी कर्मचारी व विद्यार्थी मौजूद थे ।


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